इटावा काली वाहन मंदिर यमुना बैंक के पास इटावा -ग्वालियर रोड पर है जो लोगो के आस्था एक बड़ा प्रतीक माना जाता है।
मंदिर के चीफ महंत राधेश्याम द्विवेदी जी बताते हैं की हर रात इटावा काली वाहन मंदिर को सफाई करके दरवाजे बंद किये जाते हैं लेकिन जब सुबह गेट खोले जाते हैं तो ताजे फूल माता के आगे पाए जाते जिससे यही माना जाता की अस्वथामा जो की महाभारत का एक श्रापित अमर इंसान है जो अपने दंड की माफ़ी के लिए हर रोज आता है।
इटावा काली वाहन मंदिर के अंदर तीन प्रमुख महाकाली ,महालक्ष्मी एंड महासरस्वती मूर्तियां हैं उसके अतरिक्त अन्य भगवानों के छोटे-छोटे अतिमनमोहक राम -सीता ,हनुमान और अन्य देवी -देवताओं के निवास भी हैं |
वहीँ मंदिर के बाहर दाहिनी ओर एक छोटी सी चोटी पर भैरव बाबा का मंदिर भी है, पुराणों के अनुशार ऐसा माना जाता की जब माता एक कन्या के रूप रख कर त्रिकुटा हिल के पास ध्यान के लिए गयी थी वहां एक भैरव नाथ नाम का राक्षस माता का पीछा करने लगा और उनके ध्यान मे रूकावट डालने लगा इससे क्रोधित हो माता ने अपने असली रूप मैं आकर उसका वध कर दिया |
माता के असीम रूप के दरसन कर उससे अपनी गलती का आभास हुआ और उसने माता से अपने तुछ कर्मो के लिए माफ़ करने को कहा माता का ह्रदय बड़ा कोमल है उन्होंने न केवल माफ़ किया बल्कि उससे अपने साथ पूजा मैं होने का भी आशीर्वाद दिया इसलिए हर श्रद्धालु माता के दर्शन के बाद भैरव बाबा के पास उनके दरसन के लिए जाता है।
नवरात्र के समय इटावा काली वाहन मंदिर में भक्तों का बड़ा आना -जाना होता है इसलिए इसे आकर्षक और मनमोहक बनाने के लिए यहाँ कई तारा के स्टाल लगे रहते हैं , जहाँ पूजा और उससे जुडी सारी चीजों के अतरिक्त छोटे मोटे खिलौने की दुकान और माता की मूर्ति जैसे धार्मिक सामान भी आसानी से मिल जाते हैं |
इसमें लगाई गयी लाइटनिंग और बीच मैं इस्थितित फॉन्टैन रात्रि के समय अतरिक्त सुन्दर दिखाई देता है
काली वाहन इटावा मंदिर न केवल आस्था बल्कि कई फिल्म डायरेक्टर को भी आकर्षक कर चूका है जिसके कारण बीहड़ जैसे कई फिल्मो सूट इधर की जा चुकी हैं|
काली वाहन इटावा मंदिर न केवल आस्था बल्कि कई फिल्म डायरेक्टर को भी आकर्षक कर चूका है जिसके कारण बीहड़ जैसे कई फिल्मो सूट इधर की जा चुकी हैं|
कोर्ट के आर्डर के बाद इटावा काली वाहन मंदिर ओनरशिप गवर्नमेंट को दे दी गयी थी ,लेकिन कोर्ट के साथ लम्बी लड़ाई के बाद इसे पब्लिक न होकर प्राइवेट ओनरशिप पूर्व पुजारी शंकर गिरी को दे दी गयी।
जिसे 1997 मैं सुशील चंद्र गोसवामी ने एक कमिटी बनायीं और अपनी ओनरशिप होने का दवा किया था |
लेकिन लम्बे समय के बाद कोर्ट ने यह इटावा काली वाहन मंदिर शंकर गिरी के दोनों बेटों रविंद्र और विजय गिरी को सौंपने का फैसला किया तबसे यही दोनों लोग उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर इस मंदिर को सुचारु रूप से चला रहे हैं|
लेकिन लम्बे समय के बाद कोर्ट ने यह इटावा काली वाहन मंदिर शंकर गिरी के दोनों बेटों रविंद्र और विजय गिरी को सौंपने का फैसला किया तबसे यही दोनों लोग उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर इस मंदिर को सुचारु रूप से चला रहे हैं|
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1 टिप्पणियाँ
Nice one
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