22 ख्वाजा जो कि इटावा नुमाइश चौराहे के पास स्थित है ,वास्तव मैं यह एक अनोखा कब्रिस्तान क्यूंकि इसमें 22 खाजों की कब्रे दफ़न है |
कई जानकार बताते की यह कब्रे मोहम्मद गौरी के 22 शिपासलार की हैं जो युद्ध मैं मारे गए थे। ये बात 1190 समय की है जब यहाँ पृथ्वीराज चौहान का राज्य था और मैनपुरी उनकी राजधनी थी | 1192 मे जब तराइन का दुतिय युद्ध हुआ और जब पृथ्वीराज हार गए तो मोहम्मद गौरी ने सम्पूर्ण हिंदुस्तान पे राज्य करने के विचार से उसने बाकि राज्यों पर आक्रमण करना शुरू कर दिया|
उसकी सेना इटावा के नजदीक आकर रुक गयी और सुमेर सिंह किले को चारो और से घेर लिया उस समय राजा सुमेर सिंह एक महदूर लडको थे उन्होंने मोहबाद गोरी की सेना पर
हमला कर दिए दोनों के बीच घमा सान युद्ध हुआ जिसमे मोहमद गोरी के कई बड़े सिपेसलार मारे गए | कहते हैं उन्ही मे से 22 सिपेसलारों की कब्रे यहाँ उनकी याद के तोर पर बनवा दी गयी थी ,तबसे लेकर अब तक यहाँ उनकी कब्रें मौजूद हैं , इस कब्रिस्तान के अंदर न केवल लोगों को दफनाया ज्यादा है बल्कि इसके अंदर एक मस्जिद भी जहाँ नियामत रूप से नमाज अदा की जातीं है।
कब्रिस्तान की देख -रेख करने वाले बताते हैं यहाँ ख़ास मौकों पर कवाली और सोफ़ी के भी आयोजन किये जाते हैं जिसमे दूर दूर से लोग आते हैं और इस जगह आकर आनंद उठाते हैं ,कई बड़े मौकों पर यहाँ मेला भी लगता जहाँ हर तरह के लोग आते हैं। आज भी ये कब्रिस्तान इटावा का सबसे बड़ा कब्रिस्तान मना जाता है।
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